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02 नवंबर 2017

रजरप्पा एक शक्तिपीठ..

आज आपको लेके चलेंगे एक ऐसे स्थान पर जो की पुरानो में एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है, उस स्थान का नाम रजरप्पा है जो कि झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में है, जो की राँची से 80 km. और बोकारो स्टील सिटी से 62 km. की दूरी पर है, में अक्सर अपने मित्रों के साथ यहाँ घुमने जाया करता था, क्योंकि बोकारो से सिर्फ़ 1.30 घंटे की दूरी होने के कारण हमारे लिए रजरप्पा एक पसंदीदा जगह है, रजरप्पा प्रांत दो भागों में बटाँ हुआ है, एक रजरप्पा परियोजना और दूसरा रजरप्पा मंदिर, रजरप्पा परियोजना वहाँ कोल इंडिया लिमिटेड की अनुसांगिक इकाइयों में से एक सेंट्रल कोलफ़ील्ड लिमिटेड की परियोजना है, यहाँ कोयले की खानें हैं जहाँ विवृत खनन होता रहता हैं,
आगे चलते है रजरप्पा मंदिर की ओर हमारी यात्रा बोकारो से सुरु हुई, में और मेरे मित्र सब साथ में सुबह सुबह मोटरसाइकिल से निकल गए, सबसे ज़्यादा हमे यात्रा में हीं मज़ा आता था, क्योंकि एक तो सड़के बहुत ही ख़ूबसूरत, और पूरा का पूरा रास्ता घने जंगलो से घिरा हुआ, जो की बहुत हीं ख़ूबसूरती के साथ यात्रा का आनंद देता, बोकारो से हम एन॰एच॰-320, से होकर जैनामोड़,पेटरवार होते हुए रजरप्पा मंदिर की ओर चल दिए, 
रास्ते में छोटी-छोटी बस्तियाँ और कई गाँव आते है उनके बीच से होते हुए हम अपने रास्ते पे चलते हुए रजरप्पा पहुँचे, रजरप्पा दो नदियों का संगम भी है, जो की भैरवी-भेड़ा,और दामोदर नदी का संगम है, और इसी संगम पर रजरप्पा मंदिर यानी माँ का मंदिर स्थित है, यही मंदिर के प्रांगण से संगम का नज़ारा भी बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता हैं,

इस मंदिर को प्रचंडचंडिके के नाम से भी जाना जाता है, वैसे यहाँ कई मंदिरो का निर्माण किया गया है, वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के समय भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर रुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। 
 
यहाँ कतार में बनी महाविद्या की मंदिर माँ के रूप रहस्य को बढ़ा देता है, इन मंदिरों में तारा, सोडिसि, भुवनेस्वरी, भैरवी, बगला, कमला, मतंगी और घुमावती प्रमुख हैं, रजरप्पा मंदिर में मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा होती हैं, छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा यहां महाकाली मंदिर सूर्य मंदिर दस महाविद्या मंदिर बाबाधाम मंदिर बजरंगबली मंदिर शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल सात मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर और दक्षिण दिशा से कलकल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती को बढ़ा देता है। हमने भी यहाँ रजरप्पा मंदिर के गर्वगृह में पूजा की और प्रसाद चढ़ाया, और मंदिर के गर्वगृह से बाहर निकलते ही आपको बलि स्थल नज़र आएगा,
जहाँ माता को बकरे (पाठा) की बलि दी जाती हैं, यह परम्परा यहाँ सदियों से चला अरहा हैं, भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने पे यहाँ भक्त माता को पाठा की बलि चढ़ते हैं, वही उनके दूसरी तरफ़ श्रधालु अपनी मन्नत माँगने के लिए कच्चे धागे से पत्थर को पेड़ से बाँधते है, लोगों का कहना है की यहाँ पत्थर बाँधने से माता सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं, माँ छिननमस्तिका मंदिर के बारे में पुरानो में भी उल्लेख मिलता हैं, मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेसज्ञों का कहना है कि ये मंदिर लगभग ६००० हज़ार साल पुराना हैं, और ये महाभारत क़ालीन मंदिर है,
मंदिर से बाहर निकलने के बाद हम वहाँ घुमने निकल गए, वहाँ काफ़ी भीड़ रहती है तो घुमने का अपना हीं मज़ा आता है, यही आपको काफ़ी सारी दुकाने मिलेंगी जिसमें की पूजा का सामान से लेकर मिठाइयाँ, पेड़े, पूजा सामग्री,और भी बहुत सारी दुकाने मिलेंगी, ताकि आप वहाँ से अपने परिवार दोस्त रिस्तेदारो के लिए यादगार कुछ ले जा सको, हम भी उस बाज़ार में घुमने और ख़रीदारी करने के बाद वहाँ से बाहर नदी की ओर घुमने निकल गए, वहाँ के नदी और संगम का नज़ारा तो मनमोहक है हीं, और साथ साथ  रजरप्पा जलप्रपात का नज़ारा भी मन को मोहित कर लेता है, ईसी कारण यहाँ हमने काफ़ी सारी फ़ोटो खींची,
रजरप्पा जंगलो, नदियों, ओर पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिसके कारण यहाँ लोग पिकनिक मनाने भी आया करते है, साथ ही यहाँ पर्यटकों के लिए नदियों में बोटिंग की भी सुविधा दी गई है जहाँ काफ़ी भीड़ रहती है, अधिकतर पर्यटक मंदिरो में पूजा के बाद यहाँ प्रकृति का मज़ा लेने, घुमने, रजरप्पा जलप्रपात, और पहाड़ों का लुत्फ़ उठाने आते हैं, हमने भी यहाँ काफ़ी मस्ती की और बहुत सारी तस्वीरों का संग्रह यादगार के तौर पर अपने कैमरे में क़ैद कर लियाँ,
रजरप्पा में बहुत सारी ख़ूबसूरत यादों के साथ हम यहाँ से चलने की तैयारी करने लगे, लेकिन ये जगह आपको अपनी ख़ूबसूरती के कारण यहाँ से जाने से रोकती हैं, लेकिन हमें यहाँ से निकलना भी था तो हमने यहाँ से अपनी ख़ूबसूरत यादों के साथ बोकारो अपने घर की ओर निकल गए. और फिर रजरप्पा आने का सिलसिला लगातार जारी है,
एक बार आप भी इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन करने ज़रूर आए, आज के लिए बस इतना ही, अगली बार आपको मिलेंगे एक नए शहर में एक नयी रोचक जानकारी के साथ.....शुभ यात्रा.... 


20 अक्तूबर 2017

बोकारो स्टील सिटी

आज हम आपको एक ऐसे शहर में ले चलते है जो कि मेरे दिल के काफी करीब है, क्योकि ये शहर मेरा जन्मस्थान भी है और मेरा सारा बचपन भी इसी शहर में गुजरा है, इस शहर का नाम बोकारो स्टील सिटी है। मेरे पिता यंहा बोकारो इस्पात संयंत्र में कार्यरत थे, इसी कारण मेरी पढ़ाई लिखाई भी इसी शहर में हुई है। जिसके कारण बोकारो शहर भावनात्मक रूप से मुझसे जुड़ा हुआ है।

 बोकारो स्टील सिटी भारत के झारखंड राज्य का एक छोटा सा सहर, जो कि एक प्लान सिटी है, एक सुंदर सा, प्यारा सा, सांत सहर जो कि २००० ई. के बाद झारखंड राज्य का एक ज़िला बन गया जो कि झारखंड अलग होने के पहले बिहार राज्य में आता था, बोकारो एक पठारी क्षेत्र है, जो कि छोटानागपुर पठार में स्थित है.
यह सहर अपने सरकारी क्षेत्र के इस्पात संयंत्र के लिए प्रसिद्ध है, ओर बोकारो स्टील प्लांट के नाम से जाना जाता है। जो कि सोवियत संघ के सहयोग से १९६४ ई. में इसकी स्थापना की गई थी, यह संयंत्र भारत का पहला स्वदेसी इस्पात संयंत्र है जो कि एशिया में पहले स्थान पर है.
बोकारो एक बहुत ही ख़ूबसूरत सहर है, और यहाँ घुमने के लिए भी काफ़ी खबसूरत जगहें है अगर बात करे यहाँ के रेल्वे स्टेशन की तो इसकी भी सुन्दरता देखने लायक है, बोकारो रेल्वे स्टेशन भारत के कुछ गिने चुने ख़ूबसूरत और साफ़ सुथरे स्टेशन में से एक है,
 यहाँ से भारत के अधिकतर शहरों के लिए रेलगाड़ियों का आवागमन होता रहता है, यहाँ पैसेंजर गाड़ियों से लेकर इक्स्प्रेस गाड़ियाँ, राजधानी, सताब्दी, तथा अन्य कई गाड़ियों का आवागमन होता रहता है. 

अब हम आपको लिए चलते है बोकारो हवाई अड्डा, जो कि एक निजी विमान क्षेत्र है, और यहां से निजी विमानों का ही आवागमन होता है और इस हवाई अड्डे का इस्तेमाल सिर्फ बोकारो इस्पात संयंत्र के अधिकारी गन ही करते है और यहां सिर्फ निजी विमान की ही आवाजाही होती है,
अब आइए आपको लिए चलते है बोकारो के जल श्रोतों की ओर तो बोकारो स्टील सिटी में दो डैम है, जिसमें एक गरगा डैम, जिससे कि बोकारो स्टील सिटी की पानी की पूर्ति की जाती है तथा जहाँ से गरगा नदी की सुरुआत होती है जो आगे जाके दामोदर नदी में मिल जाती है इस डैम में ६ फाटक है, जहाँ हम अपने दोस्तों के साथ नए साल में अक्सर पिकनिक मनाने जाया करते थे, यह नए साल में काफ़ी भिड़ होती है, अधिकतर लोग अपने परिवार जनो के साथ यह पिकनिक मनाने आते है, दूसरा कूलिंग पॉंड है जिसका पानी सिर्फ़ इस्पात संयंत्र इस्तेमाल करता है इसमें आम लोगों की जाने पे मनाही है, क्योंकि इसमें काफ़ी रासायनिक पदार्थ मिले होते है, इस कारण आम लोगों को यहाँ से दूर रखा जाता है,

अगर बात करे यहां बने आवास कि तो बोकारो स्टील सिटी में बोकारो इस्पात संयंत्र के द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए सेक्टर बनाए गए है, जिसमें सेक्टर-१ से लेकर सेक्टर-१२ तक आवास बनाए गए है, जो कि बहुत ही ख़ूबसूरत तरीक़े से बनाए गए है, यहाँ २४ घंटे बिजली, पानी, की सुविधा तथा बच्चो के खेलने के लिए पार्क भी बनाए गए हैं.
ओर बात करे यह के विद्यालयों की तो यह की शिक्षा व्यवस्था काफ़ी अछी है, यह हरेक सेक्टर में तो इस्पात संयंत्र के तो विद्यालय है ही, साथ ही यहाँ पब्लिक स्कूल की भी भरमार है, यह की शिक्षा की बात करे तो आप महानगरों के स्कूलों की बराबरी कर सकते है, यहाँ दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोकारो पब्लिक स्कूल, चिनमया, गुरूगोविंद सिंह पब्लिक स्कूल, आयप्पा पब्लिक स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, होली क्रॉस स्कूल, ओर भी कई बड़े बड़े स्कूल है, एक तरह से मई कहु तो यह की शिक्षा काफ़ी उच्च स्तर की है.
  
अगर आपको बताए इसकी सड़कों के बारे में तो आप इसकी तुलना मेट्रो सिटी से भी कर सकते हैं, इसकी सड़कों की ख़ूबसूरती देखने लायक है चाहे इसके चौराहे हो, स्ट्रीट लाइटें हो, या गोलम्बर हो सभी कि ख़ूबसूरती देखने लायक है, और यहाँ की ट्रैफ़िक व्यवस्था भी काफ़ी दुरुस्त है अधिकतर सड़कें बिलकुल ख़ाली ही रहती है 
अब आपको लिए चलते है यहां के घूमने लायक जगहों पे तो पहले आपको बता दे यहां के उद्यान के बारे में, जिसका नाम जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान है और यह उद्यान बोकारो रेल्वे स्टेशन से १२km की दूरी पर जो की सेक्टर-४ में हॉस्पिटल रोड में पड़ता है, यहां आपको हर तरह के जीव जंतु देखने को मिलेंगे, इसका निर्माण १९८० ई. के दौरान किया गया था, लेकिन फिर इसको दुबारा १९८९ ई. में बदलाओ कर आम लोगों के लिए खोला गया, इस पार्क में आपको दुनिया की विचित्र प्रकार के पंछी, जानवर, और छोटे से लेकर बड़े बड़े जानवर देखने को मिल जाएँगे, और बच्चों के खेलने के लिए पार्क है और बोटिंग की भी सुविधा दी गई है.
जैसे ही आप नेहरु पार्क से बाहर निकलेंगे तो रोड के दूसरी तरफ़ एक ख़ूबसूरत सा मंदिर नज़र आएगा जो की जगन्नाथ मंदिर है जिसकी बनावट तथा उसकी नक्कासी उसकी ख़ूबसूरती मन को मोह लेती है, जोकि असली जगन्नाथ मंदिर का छोटा रूप हैं, जो की हुबहू जगन्नाथ मंदिर ही लगता है,यहाँ पर्यटकों की काफ़ी भीड़ रहती है काफ़ी लोग यहाँ मंदिर के दर्शन करने आते है.

अब यहाँ से ले चलते है आपको एक और पार्क जो की सिटी पार्क के नाम से जाना जाता है यह पार्क आपको बोकारो रेल्वे स्टेशन से १०km की दूरी पर सेक्टर-३ में है, यहाँ आपको जानवर तो नहीं मिलेंगे, लेकिन आपको यहाँ हर तरह के गुलाब के फूल और पौधे मिल जाएँगे एक तरह से कहे तो ये जॉगिंग पार्क है, यहाँ आपको एक रेस्टोरेंट भी मिलेगा जहाँ से पार्क का नज़ारा बहुत ख़ूबसूरत नज़र आता है, इस पार्क में ज़्यादातर सुबह और साम को लोग जॉगिंग करने आते है, और यहाँ आपको काफ़ी कपल भी घूमते दिख जाएँगे क्योंकि इस पार्क का नज़ारा काफ़ी मनमोहक है.
सिटी पार्क से ले चलते है आपको राम मंदिर जो की यहाँ से कुछ मीटर की दूरी पर है यह काफ़ी ख़ूबसूरत मंदिर है ओर यहाँ आपको हिन्दू देवी देवताओं के बारे में जानने को मिलेगा, यहाँ जब भी आप आएँगे बहुत सुकून सा महोल मिलेगा तथा काफ़ी शांति महसूस होगी, इस मंदिर के अग़ल बग़ल काफ़ी सारी रेस्टोरेंट, होटेल्स, मिठाई की दुकाने ओर खाने पीने का सामान मिलता हैं, यहाँ काफ़ी लोग पूजा करने आते है,
यहाँ आपको हर धर्म के लोग मिलेंगे, यहाँ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, हो या चर्च हो, सभी मिल जाएँगे अगर बात करे यहाँ के स्टेडीयम की तो यहाँ क्रिकेट स्टेडीयम भी है ओर फ़ुट्बॉल स्टेडीयम ( कुमार मंगलम स्टेडीयम ) भी है, बाक़ी यहाँ हर सेक्टर में स्पोर्ट्स क्लब जिसमें बेडमिनटन हो या बास्केट बौल हो सभी खेलो के लिए क्लब ओर ट्रैनिज होस्टल दिए गए है, और यहाँ आपको अभ्यास करने के लिए कुछ स्टेडीयम में तो कोई शुल्क नहीं लगता, लेकिन कूछ में जाने के लिए मेंबरशिप लेनी पड़ती है,
अब बात करते है यहाँ कि स्वास्थ्य व्यवस्था की तो यहाँ का सबसे बड़ा अस्पताल बोकारो जेनरल अस्पताल है जो कि इस्पात संयंत्र के द्वारा बनाया गया है और इस्पात संयंत्र के सारे कर्मचारी तथा उनपे आश्रित उनके घर वालों का मुफ़्त इलाज किया जाता है, और कर्मचारियों की सुविधा के लिए हर सेक्टर में एक एक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए है ताकि बोकारो जेनरल अस्पताल पर ज़्यादा भार ना पड़े,
अब आप सोच रहे होंगे काफ़ी सैर हो गई अब शोपिंग करने का मन कर रहा है, और कुछ खाने का भी मन हो तो आप सबसे अच्छा होगा की बोकारो के सेक्टर-४ सिटी सेंटर आजाए यहाँ आपको एक से बढ़कर एक शोरूम, रेस्टोरेंट, या फिर मौल घूमना हो या शोपिंग करना हो सारा कुछ यहाँ है, यहाँ आप जो ब्राण्ड के कपड़े या और भी कुछ लेना चाहते है तो सभी चिचे मिल जाएँगी, अगर खाने की बात करे तो यहाँ काफ़ी सारे रेस्टोरेंट है जैसे कि नटखट, कोज़ी स्वीट्स, शान-ए-पंजाब, निरोला, जिंजर रेस्टोरेंट, पिज़्ज़ा हट, हो या डोमिनोज, यह आपको खाने के लिए सोचना नहीं पड़ेगा,
अगर आप बोकारो स्टील सिटी आए तो इन महत्वपूर्ण स्थानो पर ज़रूर जाए और एक नाई याद और कभी ना भूलने वाले सफ़र का लुत्फ़ उठाए, आज के लिए बस इतना ही, बाक़ी मिलते है एक नए सहर में एक नए सफ़र के साथ, कूछ नई जानकारियों के साथ, शुभ यात्रा,